हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Thursday, May 22, 2014

अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताओं का गढ़वाली भाषा अनुवाद

     विश्व प्रसिद्ध कवियों की कविताओं का गढ़वाली भाषा अनुवाद श्रृंखला
  " अटल बिहारी वाजपेयी  " जी को सादर समर्पित उनकी एक कविता का गढ़वाली भाषा अनुवाद 


                                अनुवादक : गीतेश सिंह नेगी ,मुम्बई

                       कौरव कौन, कौन पांडव / अटल बिहारी वाजपेयी

कौरव कौन
कौन पांडव,
टेढ़ा सवाल है|
दोनों ओर शकुनि
का फैला
कूटजाल है|
धर्मराज ने छोड़ी नहीं
जुए की लत है|
हर पंचायत में
पांचाली
अपमानित है|
बिना कृष्ण के
आज
महाभारत होना है,
कोई राजा बने,
रंक को तो रोना है|


कु कौरव ,कु पांडव
       

कु कौरव
कु पांडव
भारी सवाल च
द्वी छ्वाड शकुनी कु फैल्युं
कूट जाल  च
धर्मराजळ छ्वाडी नी
अज्जी तलक लत जुआ कि
हर पंचेत मा पंचाली
हूँणी  बेज्जत
बिगैर कृष्ण
आज व्हेली माभारत
क्वी राजा बणयाँ
रंकैऽ जोग  ता बस लिखीं रुणी च |

अनुवादक : गीतेश सिंह नेगी ,मुंबई

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