हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Saturday, May 24, 2014

" दुष्यंत कुमार" की कविताओं का गढ़वाली भाषा अनुवाद श्रृंखला

     विश्व प्रसिद्ध कवियों की कविताओं का गढ़वाली भाषा अनुवाद श्रृंखला
  " दुष्यंत कुमार " को सादर समर्पित उनकी एक कविता का गढ़वाली भाषा अनुवाद
                    अनुवादक : गीतेश सिंह नेगी ,मुम्बई



धर्म / दुष्यंत कुमार



तेज़ी से एक दर्द
मन में जागा
मैंने पी लिया,
छोटी सी एक ख़ुशी
अधरों में आई
मैंने उसको फैला दिया,
मुझको सन्तोष हुआ
और लगा –-
हर छोटे को
बड़ा करना धर्म है ।

अचाणचक्क एक दर्द
मन मा उठ
मिल पेय द्याई ,
छ्वट्टी सी एक खुशी
उठडीयूँ फर आई
मिल वीं थेय फ़ोळ द्याई
मिथेय संतोष मिल
अर लग --
 हर छ्वट्टी धाण थेय
 बडू कन्नू ही धर्म हूँन्द


अनुवादक : गीतेश सिंह नेगी

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