हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Saturday, May 21, 2011

गढ़वाली कविता : ठेक्कदार

 
सूबदार,
हौल्दार ,
थाणादार ,
डिप्टी - कलक्टर ,
तहसीलदार ,
डॉ ० और प्रिंसिपल साहब
सबही  प्रवासी व्हेय
ग्यीं
अब रै ग्यीं त  बस
ठेक्कदार,
और उन्का  डूटयाल    
जू लग्याँ छीं  
दिन रात
सबुल लगांण  मा
अफ्फ अफ्फ खुण
पहाड़ मा
म्यारा कुमौं-गढ़वाल मा  !



 
रचनाकार  :गीतेश सिंह नेगी ( सिंगापूर प्रवास से,सर्वाधिकार-सुरक्षित )

1 comment:

  1. Negiji,

    I really enjoyed your blog, everything you write and especially in our native language. Please keep writing. Thanks & Regards, Ramesh

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