हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Sunday, May 15, 2011

गढ़वाली व्यंग :विधान सभा म़ा खच्चर



उत्तराखंड मा विधान सभा का चुनाव की घोषणा व्हेय ग्या छाई और पक्ष और विपक्ष अपड़ी - अपड़ी रणनीति बणाण  फ़र लग्याँ छाई | पार्टी अध्यक्ष द्वारा कार्यकर्ताओं और पार्टी का बड़ा वक्ताओं थेय झूठा  सौं -करार और सुप्निया दिखाणं का भारी हुकुम सदनी की  चराह  आज भी जारी हुयां छाई | उन्भी उन्थेय याक़ी अब आदत सी व्हेय गया छाई |
सब कुछ ठीक ठाक  से चलणु छाई पर अचांणचक  से  ब्याली भटेय पक्ष -विपक्ष   दुयुं की नीद उड़ीं छाई |

अब साब बात इन् व्हाई की ये  चुनाव मा एक और गुट खडू व्हेय ग्या छाई | अरे भाई कैल बनाई यु गुट ?  और आखिर कब ? पक्ष -विपक्ष येही   सोच विचार करण फ़र लग्याँ छाई |
त़ा भई- बंधो   बात इन्  छाई की गौर- भैंषा ,बल्द , बाघ-बखरा  , कुक्कुर -बिरोला , मूस्सा सब जानवर सरकार से सान्खियुं भटेय तंग त हुयां हि छाई  सो उन्  मिल-जुली एकजुट व्हेय की अपड़ी कौम का विगास  का खातिर चुनोव्   मा भाग लिणा  कु फैसला कैर द्या |

अब साब किल्लेय  की  पहाड़ मा मन्खी  त उन् भी अब कम हि रैंदी ,भंडिया लोग  अब प्रवास   कु सुख  जू भोगंण लग्यां छिन्न पर यूँ  गौर- भैंसों ,बल्द, बाघ-बखरौं ,कुक्कुर -बिरोलौंल कक्ख  जाणू  छाई यूँ डांडीयूँ कांठीयौं और गौं गुठियारौं , धार-पन्द्यरौं थेय छोडिकी और यु नेताओं कु ध्यान सौर नम्मान त़ा देहरादूण और दिल्ली
जने हि रैंद  और देहरादूण  मा भी कुछ नेता जोड़ -तोड़  और  " गढ़वाल कुमाओं " थेय मरोड़  मा हि लग्याँ रैंदी त कुछ सता - सुख भोगिकी अब पहाड़ विरोधी मानसिकता का भी व्हेय गईँ पहाड़ कु ख्याल यूँ  निर्भगियुं  थेय  सिर्फ और सिर्फ चुनोव्  का बगत मा हि आन्द नथिर यु  अशगुनी लोग इन्हेय  खुण कभी पैथिर फरकि की भी नी देख्दा और ता और पहाड़ी और पहाड़ से जुड़याँ  राजनेतिक और सामाजिक सरोकारों से भी यूँ थेय  अब कुछ लीणु दीणु नी रैंदु  उलटू पिछला दस बरसों मा यून्की विगास योजना - निति पहाड़ विरोधी मानसिकता कु  जैर से फूंकी पिल्चिं रें |

खैर नया दल कु गठन हूँण से पहाड़ म़ा बस्याँ मनखियुं थेय  भी नयी आस का सुपिन्या जगण बैठी  गईं ,पुराणा सबहि दल त उन् अच्छी तरेह से देख-चाखि याली छाई जौंकू लूँण-कटट स्वाद अभी तक उनकी जीभ म़ा लग्णु छाई ,कत्गौं थेय त भारी मरच भी लगणि छाई की दस साल म़ा क्या सोवाचु  छाई और अब  क्या हुणु  च ,कुई राजधानी का नाम फर पक्ष- विपक्ष थेय  कचोरणु  छाई त कुई पलायन और रोजगार   का नाम फर , त कुई डामौ की डम्याँण की पीड़ा का आंशु पुटुग ही पुटुग धोल्णु राई, पर निर्भगी पक्ष -विपक्ष का यु नेता जू थेय  यूँ लोगुन्ल  सैंत -पालिकी दिल्ली  और देहरादूण  कु रास्ता दिखाई वी आज पहाड़ कु रास्ता और पहाड़  का सुपिन्या  बिसरी   गईं ,बिसरी गईं सखियुं कु खैर और पीड़ा का वू दिन  ,मसूरी ,श्रीनगर, पौड़ी ,खटीमा देहरादून , मुज़फर नगर का वो दिन जब हमुल एकजुट वही की दगड़ म़ा  गीत लगई छाई ,धई लगाई  छाई ,गोली और लठ्याव् सैह  छाई | दिल्ली कु जन्तर मंतर का अन्दोलन काल का दिन भी यु सत्ता  सुख भोगी लोग चुक्कापटट कै की  बिसिर गईं  |

अब साब  पहाड़ म़ा गठित ये  नया दल का घोषणा पत्र म़ा डांडा काँठीयूँ   का समग्र पहाड़ी विकास की नयी धार साफ़ दिखेणी छाई ये  ही कारण से पहाड़  का  रैंवाशियुं और प्रेमी प्रवासियुं   कु भारी  समर्थन यूँ थेय  मिलणु छाई और पक्ष-विपक्ष   खुण भारी मुश्किल खड़ी व्हेय ग्या  छाई ,उन्ल  साम -दाम दंड भेद सभी निति अपनै पर उन्की एक नी चली और सत्ता पहाड़  का यूँ न्या क्रांतिवीरों का हत्थ म़ा ऐय ग्या |

भाई बंधो इन्ह  नै  पार्टी कु  काम-काज  कु  तरीका भी बिल्कुल अलग छाई ,उन्ल पक्ष - विपक्ष का जण कसम खाण से पहली देहरादूण म़ा अपड खुट्टा  नी राखा       बल्कि उन्ल पहली शहीद  स्मारक म़ा जैकी शहीदों  थेय श्रद्धान्जली   अर्पित कैरी  और उन्का खैरी स्वुप्नियों थेय  सम्लैकी देहरादूण की और अप्डू रुख कार | शपथ   समारोह भी बिलकुल  पहाड़ी रूप म़ा संपन्न व्हेय और लोकभाषा म़ा शपथ लेकी उन्ल अप्डू और अप्डी भाषा  दुयुं कु मान -सम्मान कार |

सभ्युंल  मिली जुली की यु फैसला कार की  " प्रजा " खच्चर  थेय राज्य कु मुख्यमंत्री कु पद दिए जाव किल्लेकी  प्रजा थेय  गढ़-कुमौं की पहाड़ की धार धार और उन्कि हर खैर - विपदा  कु भोत ज्ञान छाई और पहाड़ से वेय  थेय  भोत गहरू प्रेम भी छाई ,वेक बाद पहाड़  कु रक्षा कु  भार भोटू कुक्कुर थेय  और संपदा और संपत्ति विभाग बिरोलू  थेय  दिये ग्याई ताकि चंट चालाक  बिरोलू राज्य की परिसम्पतियुं कु ठीक से सोक संभाल कैरी साक नथिर पिछला दस बरसौं बठिं लगातार राज्य की परिसम्पत्तियुं कु भारी नुक्सान यूँ  निकम्मों का कारण से हुणु  छाई | राज्य म़ा बेरोजगारी हटाणा  कु जिम्मा ईमानदार  और कर्मठ हीरू बल्द थेय  दीये  ग्याई और धरम पर्यटन और संस्क्रती कु जिम्मा "बिंदुली गौडी " थेय और राज्य का वित्त मंत्री कु पद स्याल महाराज थेय मिल और जंगल का राजा थेय  विधान सभा कु अध्यक्ष कु पद दीये  ग्याई |

जब प्रजा पहली दिन
विधान-सभा म़ा पहुँच त़ा साब क्या ब्वन ,एक से बड़ा एक विपक्षी नेता बैठक म़ा शामिल  हुण खुण  अयां छाई| कुई अप्थेय नरन्कार कू सी पुजरू चिताणु छाई  त़ा कुई अप थेय नो छम्मी  नारायण बताणु छाई | एक नेता साब बार बार खडू व्हेय की प्रवचन  सी दींण   बैठी जाणु राई त एक तबरी बीच बीच म़ा शंख बजा  दिणु राई और जब कुई वे म़ा पुछ्णु की भाई सिन्न किल्लेय  कन्नू छई त उ सर पितली गिच्ची कैरी की कबिता पाठ सी कैरी की बोल दिणु राही की मी त कुछ भी गलत नी करणु छोवं मी फर शक  नी कारा या मी त नाम से बिना शंख कु छोवं | एक नेता साब निछंद   व्हेय की भट्ट भूजण  म़ा लग्युं छाई और दगड़ा दगड धेई लगाणु  राई  की भट्ट ले लो ,  भट्ट ले लो | एक नेता ईनू भी छाई जो अपखुण बार बार गुणा , बार बार गुणा बोल्णु  छाई  त एक नेता कपूर जालंण म़ा ही लग्युं छाई और एक नेता हड़का ही मरण म़ा लग्युं छाई , कुल मिला कै काम की बात कुई नी  करणु छाई  |               

पर साब अब राज-काज त प्रजा का हत्थ म़ा छाई   वैल  पहली चोट म़ा  विपक्ष थेय  धराशाई कैर द्याई  और राज्य की जनता की जिकुड़ी से जुड़याँ  हर पहलु और मुद्दा फर गहराई से चर्चा और सोच बिचारी की फैसला कार और राज्य म़ा पलायन रोको योजना बणे की रोजगार उन्मुखी शिक्षा प्रणाली लागू  कैरी की पहाड़ की भोगोलिक और पारिस्थितिकी का हिसाब से उधोग निति कु निर्माण कार ज्यान्कू  ज्यादा से ज्यादा  लाभ नेतौं - ठेकादारौं थेय  ना मिली की पहाड़ का शिक्षित बेरोजगारों थेय  मिल साक | शिक्षा का वास्ता वैल  पहाड़ का प्रति समर्पित और कर्मठ शिक्षकों कु चयन कार ना की मजबूर बेबस और लाचार बधवा  मजदूरों कु | पर्यटन का क्षेत्र  म़ा यूँल ग्रामीण क्षेत्र म़ा पर्यटन  विकास  योजना लागू कैरी की पहाड़ का गौं गौं थेय आधुनिक संचार का माध्यमों से सजा -सवांर द्याई  ,कंप्यूटर शिक्षा अनिवार्य कैर द्याई  और हर ब्लाक म़ा आधुनिक अस्पताल बणवा  द्याई |

पहाड़ म़ा उन्नत कृषि विकास और अनुसंधान योजना का तहत  युंल गौं गौं म़ा माट-खैड की जांच करवाई  और वेका बाद  किसानों थेय  उन्नत बीज  और ब्वई -बूतै  का  आधुनिक तरीकों कु  प्रशिक्षण  द्याई और दगड़ा दगड फसल- फल -फूल और जड़ी बुटयूँ  कु एक अच्छु और गलादारौं से रहित  बाज़ार उन्थेय द्याई  | राज्य का दूर दराज का पहाड़ी गौं -धार म़ा उन्ल बिजली -पाणी -मोटर पहुंचाई द्याई और भ्रस्टाचारी और गलादार किस्म का अफसरौं फर  ज्यूडा - संगला बाँध  दयीं  |   
  
उन्ल राज्य की लोक-कला संस्कृति -भाषा और रीती -रिवाजौं थेय भोरिकी  सम्मान दिणा का साथ देश विदेश प्रवास म़ा बस्यां पहाड़ का अनुभवी लोगौं थेय  पहाड़ का विकास  म़ा एथिर आण खुण धाद भी मार जुकी फिल्म उद्योग ,व्यापार  ,पर्यटन और शिक्षा ,चिकित्सा और कुटीर उद्योग क्षेत्र म़ा विशेष  दक्षता और अनुभव प्राप्त लोग छाई |

उन्कि लोकप्रियता दिन रात बढदा ही जाणि छाई ज्यां से  विपक्ष थेय  भारी मुंडरु  उठ्युं छाई और जब भटेय प्रजा ल   उत्तराखंड की राजधानी का मुद्दा फर  तैड-फैड करणी शुरू कार त़ा विपक्ष का मुख फर तब भटेय  झमक्ताल रुमुक्ताल सी प्वड़ी ग्याई  ,जक्ख द्याखा   प्रजा की जय जयकार हुणि छाई  | आज विपक्ष का हर पहाड़ी नेता थेय   भोत अफसोश  सी हुणु च और  वू  सोच म़ा प्वडयाँ छीं की जू काम  प्रजा खच्चर करणु च उन्  हमुल किल्लेय्य   नी कारू उन्थेय  अपनाप से घिण  सी आणि छाई  और जू ब्याली तक सदनी लोग - बागौं की भीड़ से घिरयाँ रेंदा छाई उन्थेय अब भीड़ म़ा जाण म़ा भी शर्म सी आणि छाई  |
पर लोग अब भोत खुश छीं और बुना छीं की यूँका राज से त़ा प्रजा कु राज भोत भोत बढिया चा ,काश दस बर्ष   पैल्ली प्रजा जन्नु नेता मंत्री बणदू त आज हमारू उत्तराखंड और भी ज्यादा  ठाठिलू और छजिलू  राज्य हुन्दू | 
पर  खैर कुई बात नी च अबही भी देर नी व्हाई,प्रजा - सरकार जागरुक रैली त विगास का सबही सुपिन्या एक ऩा एक दिन जरूर पूरा  व्हाला |
इन्नेह प्रजा की जय जयकार अबही भी हूँण लगीं छाई और विपक्षी मुख लुका की अपड़ा अपड़ा दोलणो  पुटुग भटेय मजबूर  और लाचार व्हेय की देखण लाग्यां छाई
की अब क्या व्हालू ,कक्खी भोल  प्रजा राजधानी का मसला फर भी अप्डू गिच्चू त नी खोली द्यालू ?    



(नोट : इस व्यंग के सबही पात्र और घटनाएं काल्पनिक हैं ,यदि कहीं कुछ भी  ऐसा घटित होता है या  हो रहा है तो उसे महज  एक संयोग मात्र  ही समझा  जाये )

रचनाकार : ( गीतेश सिंह नेगी ,सिंगापूर प्रवास से ,सर्वाधिकार  सुरक्षित )
स्रोत :         ( म्यार ब्लॉग हिमालय की गोद से ,  )

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