हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Wednesday, December 15, 2010

गढ़वाली कविता : लल्लू पधान

उत्तराखंड कक्षा १० का एक प्रश्न-पत्र मा
मची ग्या बल घनघोर घमसाण
प्रश्न छाई आसान पर बच्चा छाई नादान
जवाब देखि की मास्टर जी खुण व्हे ग्या मुंडरु
हे ब्वे ,हे बुबा अब मी क्या जी करू ?

ये  गौं खुण उन् त क्या छाई  सड़क और क्या रेल ?
विगास का इतिहाश म़ा यु गौं हुन्णु छाई साखियुं भटेय फेल
खबर ,नेता और मेहमान सबही  रैन्दा छाई सदनी गौं से दूर
सैद इंह वजह से यु गौं छाई पहाड़ मा कुछ कम मशहूर
पर आज गौं कु नाम रोशन कै ग्या प्रधान जी कु नौनु लल्लू
सरया गाड फेल व्हे ग्या ,पास व्हाई सिर्फ भुल्ला लल्लू - २

उन् त प्रश्न पत्र मा, प्रश्न छाई अनेक
पर लल्लू थे पास करा ग्या उत्तर वेकु सिर्फ एक
प्रश्न छाई :अपना परिचय दीजिये ?
और लल्लू कु जवाब  छाई
लल्लू राम ,पुत्र श्री उछेदी राम (ग्राम प्रधान )
ग्राम - लापता ,पोस्ट -खाली
जिल्ला- बदर ,वाया -पैदल मार्ग
राज्य - उतंणदंड  पिन -000000

पर ये  सवाल मा फस ग्याई  बडू पेच, कन्नू तब एक
सरया स्कूल कु जवाब भी त आखिर छाई केवल एक
सामूहिक नक़ल का मामला मा ,व्हे ग्यीं सब फेल
पास व्हाई  बस लल्लू पधान,पर बिगड़ी ग्या वेकु भी खेल

मच
ग्या फिर हल्ला ,व्हे ग्या फिर शुरु जांच
मास्टर जी खुण व्हाई मुंडरु ,
लल्लू फर भी आ ग्या बल आंच
जांच मा खुल ग्याई बडू भेद
मूल्यांकन प्रणाली मा हुन्या छाई कुछ छेद
और लल्लू  का जवाब मा स्कूल थेय छाई खेद
एक सवाल छाई :अपने प्रदेश  क़ि राजधानी का नाम लिख्यें ?
लल्लू कु जवाब छाई :  " गैरसैंण "
उन् त सवाल और भी छाई और उंका जवाब भी छाई रोचक
पर लल्लू का दीर्घ -उतरीय प्रश्न जवाब
जांच का हिसाब से छाई बल आपतिजनक और सरकार अवरोधक
जांच हुंणा का बाद लल्लू भी व्हेय ग्या घोषित फेल
और सामूहिक नक़ल का आरोप मा भेजे ग्या वू ६ महीना क़ि जेल

गौं मा छाई मच्युं भारी शोक ,
पर लल्लू कु ददा थेय नि छाई कुई अफ़सोस
और वू बुना छाई
जुगराज रै म्यारा नाती लल्लू ,तुई छई  अब मेरी आश
नक़ल का आरोप मा भी तिल रक्खी पहाड़ क़ि लाज - २

काश पहाड़ कु हर नौनु ,लल्लू  बण जांदू
और परीक्षा मा ये सवाल कु जवाब
सिर्फ और सिर्फ   " गैरसैंण " लेखीक आन्दु
क्या पता से  यु दिन आज  " गैरसैंण " क्रांति कु इतिहास बण जांदू  ?
क्या पता से  यु दिन आज  " गैरसैंण " क्रांति कु इतिहास बण जांदू  ?
क्या पता से  यु दिन आज  " गैरसैंण " क्रांति कु इतिहास बण जांदू  ?
रचनाकार :        गीतेश सिंह नेगी (सिंगापूर प्रवास से ,दिनांक १५ -१२-१०, सर्वाधिकार सुरक्षित )
                  

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