हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Monday, September 27, 2010

गढ़वाली कविता : जग्वाल





जग्वाल
धुरपाली कु द्वार सी
बस्गल्या  नयार सी
देखणी छीं बाटू आँखी
कन्नी  उलैरया  जग्वाल सी
छौं डबराणू चकोर सी
छौं बौल्याणु सर्ग सी
त्वे देखि मनं तपणु च घाम छूछा
हिवालां का धामं सी
काजोल पाणी मा माछी सी
खुदेड चोली जण फफराणि सी
जिकुड़ी खुदैन्द लाटा
रैन्द घुर घुर घुगुती घुराणी सी

देखणी छीन बाटू  आँखी
कन्नी उलैरया   जग्वाल सी
कन्नी उलैरया   जग्वाल सी
कन्नी उलैरया   जग्वाल सी
                                                             
रचनाकार  :गीतेश सिंह नेगी (सिंगापूर प्रवास से ),दिनांक २७-०९-२०१० 

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