हिमालय की गोद से

हिमालय  की  गोद  से
बहुत खुबसूरत है आशियाना मेरा ,है यही स्वर्ग मेरा,मेरु मुलुक मेरु देश

Saturday, September 25, 2010

"मैं "


                                     


ख्वाब  हूँ मैं ,
ख्यालात हूँ मैं
दिल मैं दफन हूँ सदियौं से जो 
वो छलकता जज्बात हूँ मैं 
दूर हूँ मैं , फिर भी दिलौं के आस पास हूँ 
बिता हुआ लम्हा हूँ कल का  ,
हूँ सुनहरे  भविष्य की आस  मैं 
जानते हैं दुनिया मैं सभी मुझे ,
फिर भी छुपा हुआ एक राज हूँ मैं 
अक्सर  रहता हूँ जश्न - एय- महफ़िल  में ,
पर हकीकत  एक मुर्दा कब्रगाह हूँ मैं 
है अन्धेरौं  मैं आशियाना मेरा ,और लोग कहते हैं की आफताब हूँ मैं 
ख्वाब हूँ मैं ,  ख्यालात हूँ मैं ....................
                       

द्वारा स्वरचित :गीतेश सिंह नेगी   

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